ये छोटी-छोटी खुशियो के बड़े-बड़े तोहफे, बस एक ही है मेरे यार।
उसने की कभी मेरी बेइज्जती, तो हुई उससे कभी तकरार।
पर जो कम न हुआ वो है उनका प्यार,
ऐसे है मेरे यार ऐसे है मेरे यार।
फुरसत से मिले उस क्लासरूम में, याद है मुझे उनका इठलाना।
करके मन भर बाते और जी भर चुगली,फिर कहते मत उसे बताना।
छोटी खुशियों को बड़ा बनाना, रूठ के एक पल फिर खुद मान जाना।
शायद ही हो कहीं ऐसा प्यार,
ऐसे है मेरे यार ऐसे है मेरे यार।। ....
वैसे तो हम एक जान थे, पर करते न हम किसी का सम्मान थे।
पर आती बात जब किसी एक पर, लड़ते थे हम बड़े शान से।
कहा मिलेंगे ऐसे गहने, ऐ मेरे यार तेरे क्या कहने।
सच है यार बिना जीवन बेकार, ऐसे है मेरे यार........
याद है उन सबका यह कहना, कही भी रहेंगे मिलते रहना।
चल दिए सभी फिर अपने सफर पर, कहकर मिलेंगे फिर इसी जगह पर।
हो गए है अब वो दिन भी पुराने, बीते थे जो दिन वो सुहाने।
न भूल सकेंगे हम कभी भी , चाहे बीते दिन भी हजार।
ऐसे है मेरे यार ऐसे है मेरे यार।
मिस यू मेरे यार........
( गूगल से साभार )
सतीश कुमार सोनी
जैतहरी जिला अनूपपुर(म० प्र०)
जीवन यात्रा का सुंदर सजीव चित्रण। बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteब्लॉग पर पधारने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर।
Deleteप्रणाम।🙏
बहुत ही अच्छी लेखनी है भाई
ReplyDeletethank you Kanha bhai.
DeleteSach me dosto ke sath din bahot achchhe hote hy
ReplyDeleteji ha.
DeleteBlog me aane k liye sukriya.
Very nice poem sir...jay hind
ReplyDeletethanks bharat. jai hind.
ReplyDeleteHa yaar
ReplyDeleteji ha yara.. thanks to coming in blog.
DeleteSandar sir
ReplyDeleteVery nice mere bhai satish ji
ReplyDeleteBahut sunder such me dosti life me sabse pyara aur taumra chne wala rishta hy lakho khushiyon ke sath.
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