Friday 17 April 2020

मन की बात- सतीश कुमार सोनी






देख चिड़ियों का यह रैन बसेरा,

लगता है मुझको अपना ही डेरा।
इनको देख मन बड़ा मुस्काए,
काश! मुझको फिर से ऐसा बचपन मिल जाए।

चू-चू करके दाना खाती,

लगता है मुझे यही समझाती।
आंख खुले और झट उड़ जाए,
काश! मुझको फिर से ऐसा बचपन मिल
जाए।

चिड़ियों का यह देख हौसला,

मेरा मन मुझको यह बोला।
चल अब कुछ कर कर दिखलाएं,
सारे सपने सच कर जाएं।
काश! मुझको फिर से ऐसा बचपन मिल
जाए।..........

सतीश कुमार सोनी

जैतहरी (म.प्र.)

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