Monday, 27 April 2020

सिपाही - सतीश कुमार सोनी

                                                               
                                 कविता - सिपाही 


इस देश और दुनिया में जब भी होती दिखे तबाही,
रोम रोम कहता है मेरा मैं भी बन जाऊं सिपाही।
कितने वीर सपूतों ने आजादी हमें दिलानी चाही,
इन्हें स्मरण कर लगता है कि मैं भी बन जाऊं सिपाही।

मेरा भी तन मन धन इस धरती पर न्योछावर है,
अंधेरों में यह दुनिया दिखती कितनी भयावह है।
मैंने भी इन अंधेरों में एक दीप जलानी चाही,
रोम रोम कहता है मेरा मैं भी बन जाऊं सिपाही।

लड़ते रहते वह अड-अड कर, जलते रहते वह तप-तप कर,
लेकर सौगंध इस मिट्टी का रक्षा करते वह सीमा पर।
फिर दिया लहू बलिदान मगर एक भी आंच ना आने पाई,
कहता है पुलकित रक्त मेरा मैं भी बन जाऊं सिपाही।

इन वीर सपूती शेरो ने एक दहाड ऐसा मारा था,
शासन करते गोरों के घर बच्चा बच्चा घबराया था।
जब किया शत्रु संघार सभी ने उनकी ना एक चलने पाई,
तब विजय तिलक कर वीरो संग हम सब ने आजादी पाई।
कर स्मरण यह लगता है, आजाद हिंद की सेवा में मैं भी बन जाऊं सिपाही।

जिस दिन मैं भी लड़ जाऊंगा, पत्थर बन कर अड जाऊंगा,
इस देश धर्म की रक्षा को हंसते-हंसते मर जाऊंगा।
होकर मिट्टी में दफन मेरी यह रूह बनेगी इसकी गवाही,
फक्र से मैं यह कहता हूं कि सबसे आगे है हर एक सिपाही।
रोम रोम कहता है मेरा मैं भी बन जाऊं सिपाही मैं भी बन जाऊं सिपाही।
जय हिंद जय भारत।

सतीश कुमार सोनी
जैतहरी जिला-अनूपपुर मध्य प्रदेश

Friday, 24 April 2020

स्वप्न एक झरोखा- सतीश कुमार सोनी


स्वप्न एक झरोखा

स्वप्न  तभी तक स्वप्न है, जब तक की आंखें न खुलें। आंखें खुलते ही हकीकत सामने आ जाती है। पर इसके विपर्याय बात करें तो आंखों का समय पर खुल जाना भी सही है, वरना बहुत सी हकीकत सी लगने वाली चीजें भी स्वप्न में बदल जाती हैं।
यह दौर है उस पहलु का जब व्यक्ति अपने उम्र और देश दुनिया की चकाचौंध में खोया रहता है। जिससे व्यक्ति की आँखों पर वास्तविकता की झलक भी नहीं पड पाती है। अगर हम यह कहें कि व्यक्ति दिवास्वप्न में खोया रहता है तो यह अतिश्योक्ति नहींं होगी। समय का एक दौर युवावस्था जिसे तूफान के काल की भी संज्ञा दी गयी है, इस काल में व्यक्ति वास्तविक परिदृश्य से कोसो दूर अपने विचारगाथाओं को गढ़ रहा होता है। जो व्यक्ति को संसार में व्याप्त क्रियाकलापों के मध्य जीवन संघर्ष के ज्ञान से दूर किये हुए होता है। जीवन के लिए संघर्ष एक सूक्ष्म जीव से लेकर विशाल जीव तक अपनी-अपनी जीवन अवधी में करते है और जीवन का यह काल भी इनसे अछूता नहीं है। पर व्यक्ति स्वप्न के जिस समुंदर में अपने विचारों का गोता लगा रहा होता है वह पूर्णतः काल्पनिक है। और इसी काल्पनिक दृश्य को व्यक्ति अपने वास्तविक जीवन में उकेरने के लिए अपने जीवन तथा सांसारिक क्रियाकलापों के मध्य संघर्ष करता चला जाता है। और इसी प्रयास में जीवन के बहुत से गूढ़ तत्व समय के साथ इसी धरा में विलीन हो जाते है। मै यह नहीं कहूंगा की स्वप्न के काल्पनिक परिदृश्य गलत है पर इन काल्पनिक विचारो के पीछे अंधा होकर भागना गलत है, और यह एक समय के बाद हमारे वास्तविक जीवन से ओझल हो जाते है। वरन मै यह कहूंगा कि स्वप्न हमारे ही विचारो का मंथन है जिसे वास्तविकता के साथ बहुत ही संयम से समेटने की आवश्यकता है।
अतः स्वप्न खुली आँखों से देखें जिनमे विचारों के साथ सांसारिक जीवन का संघर्ष भी झलकता है, जिसको पाने में व्यक्ति जीवन संघर्ष की वास्तविकता से भेंट करता है तथा जीवन के मूल्य को भी प्राप्त करता है।

      सतीश कुमार सोनी 
जैतहरी,जिला-अनूपपुर (म०प्र०)

                                                         

Thursday, 23 April 2020

मेरे यार - सतीश कुमार सोनी




ये छोटी-छोटी खुशियो के बड़े-बड़े तोहफे, बस एक ही है मेरे यार। 
उसने की कभी मेरी बेइज्जती, तो हुई  उससे कभी तकरार। 
पर जो कम न हुआ वो है उनका प्यार,
ऐसे है  मेरे यार ऐसे है मेरे यार। 

फुरसत से मिले उस क्लासरूम में, याद है मुझे उनका इठलाना। 
करके मन भर बाते और जी भर चुगली,फिर कहते मत उसे बताना। 
छोटी खुशियों को बड़ा बनाना, रूठ के एक पल फिर खुद मान जाना। 
शायद ही हो कहीं ऐसा प्यार,
ऐसे है  मेरे यार ऐसे है मेरे यार।। ....  

वैसे तो हम एक  जान थे, पर करते न हम किसी का सम्मान थे। 
पर आती बात जब किसी एक पर, लड़ते थे हम बड़े शान से। 
कहा मिलेंगे ऐसे गहने, ऐ मेरे यार तेरे क्या कहने। 
सच है यार बिना जीवन बेकार, ऐसे है मेरे यार........  

याद है उन सबका यह कहना, कही भी रहेंगे मिलते रहना। 
चल दिए सभी फिर अपने सफर पर, कहकर मिलेंगे फिर इसी जगह पर। 
हो गए है अब वो दिन भी पुराने, बीते थे जो दिन वो सुहाने। 
न भूल सकेंगे हम कभी भी , चाहे बीते दिन भी हजार। 
ऐसे है मेरे यार ऐसे है मेरे यार।
मिस यू मेरे यार........ 

google image
                                                                                 ( गूगल से साभार )

सतीश कुमार सोनी 
जैतहरी जिला अनूपपुर(म० प्र०) 

Monday, 20 April 2020

# मीम्स # - सतीश कुमार सोनी


दुनिया में दिन-ब-दिन बढ़ते इस सोशल मीडिया की व्यवस्था ने लोगों पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है। लोग अपने दिन भर का आधा हिस्सा इस सोशल मीडिया पर गुजार रहे हैं। जिनमें ना जाने कितनी जानकारियों के साथ अनेक मनोरंजन की सामग्रियां भी उपस्थित हैं, यहां तक कि लोग इन्हें अपने व्यवसाय व अन्य कार्य क्षेत्र में इसका अधिकता से उपयोग कर रहे हैं। पर यह जानकारी या तथ्य जिस पर लोग आसानी से आंख मूंदकर विश्वास कर जाते हैं यह कितनी सत्य है और यह हमारी सोच पर कितना गहरा प्रभाव डाल रहा है इसका आकलन करना ही अत्यधिक मुश्किल है।

किसी भी एक राजनैतिक सामाजिक तथा व्यवहारिक घटना के होते ही चंद मिनटों बाद ही उसके  हास्य  व्यंगात्मक रूपांतरण सामने आ जाते है जिन्हें मीम्स कहा जाता है। इन मीम्स (व्यंग्य) पर लाखों लोग अपनी प्रतिक्रिया देते हैं और यही मीम्स अनजाने में ही उनके मन मस्तिष्क में एक गहरी छाप छोड़ जाता है।सभी सोशल साइट्स पर हर दिन लाखों-करोड़ों मैसेज भेजे जाते हैं जिनमें किसी घटना की चलचित्र छायाचित्र या ऑडियो क्लिप आदि चीजें वायरल होती हैं, और यह बनावटी काल्पनिक वायरल दृश्य हमे सच सी लगने लगती है तथा यह हमारे दिमाग को भ्रम अवस्था पर लाकर सोचने पर मजबूर कर देते हैं।

जैसे हवा में उड़ता जादूगर, पांच मुखो वाला सर्प, आसमान पर दिखे शंकर जी और ना जाने ऐसी हजार झूठी बातें जो कुछ आसान से फोटोशॉप तकनीकों के द्वारा बना लिए जाते हैं, और तो और यह भी कहा जाता है कि इसे दस  ग्रुप में भेजे शाम तक अच्छी खबर मिलेगी, इसे भेजने से आपका जीवन बदल जाएगा और ना जाने कहां कहा की तमाम बातें। हम बिना सोचे समझे इनके झांसे में भी आ जाते है और इनके वायरल झूठ मैसेज को अन्य लोगों तक पहुंचाते भी है। यह सच सी लगने वाले वायरल मीम्स जिनमें सच का प्रतिशत लगभग शून्य होता है यह व्यक्ति में व्यक्तिगत रूप से तथा सामाजिक रूप से कुप्रभावों को समाहित कर रहा होता है।

तत्कालीन घटना को लेकर हम बात करें तो विश्व जहां इस कोरोना कि वैश्विक महामारी को झेल रहा है जिसमें समाज में लोगों में चारों तरफ भय व्याप्त है जिस भय का आधे से ज्यादा हिस्सा इन्हीं वायरल मींस के कुप्रभाव का उदाहरण है। जहां इस महामारी से सोशल डिस्टेंसिंग तथा कुछ सामान्य आसान से निर्देशों का पालन करके इससे बचा जा सकता है वही यह वायरल मीम्स लोगों तथा जनसाधारण में एक भय व्याप्त किए हुए हैं जिससे इस महामारी को लोगों से दूर करने में और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

सोशल मीडिया के सारे प्लेटफार्म हमारे आजकल के निजी जीवन में अति आवश्यक है, लेकिन यह हमारे मस्तिष्क में साइकोलॉजिकल रूप से गलत प्रभाव भी डाल रहा है। जिसके लिए हमें इससे बढ़ रहे कुप्रभावों को तार्किक चिंतन के द्वारा दूर करने की भी आवश्यकता है ।

Sunday, 19 April 2020

यादें- सतीश कुमार सोनी


writers picture

##यादें##


कुछ तो है बीते हुए कल में, 
बसी है यादें हर एक पल में। 
देकर नाम पुराने दिन का,
जीता हूं मैं उसी हलचल में।

 खोकर मन स्वप्न दिखा जाता है,
 बीते हुए पल की याद दिला जाता है।
 भूला नहीं इसे मै आज और कल में,
 कुछ तो है बीते हुए कल में,
 कुछ तो है बीते हुए पल में।। 

 अच्छी नयी-पुरानी यादें एक दिन सब धूमिल हो जाती हैं,
 ना जाने क्यों सारी बातें दिल में कहीं दब जाती हैं।
 लड़ते झगड़ते यारों के संग दिन और साल गुजर जाता है,
 देकर अपने याद सुहानी ना जाने कौन किधर जाता है।
  हम बनते बिगड़ते थे एक ही पल में,
  कुछ तो है बीते हुए कल में, कुछ तो है बीते हुए पल में।

किसी का रोना किसी का गाना, थोड़े-थोड़े में सब कह जाना।
लड़कर मनभर फिर उसे मनाना, सब कुछ याद बहुत आता है।
ऐसी मीठी मीठी यादों के संग जीवन का एक पन्ना और पलट जाता है।
देखे पलट कर जब हम इसको जीवन का एक चिट्ठा नजर आता है।
करते हैं हम याद इसे हर सुख-दुख के पल में,
कुछ तो है बीते हुए कल में, कुछ तो है बीते हुए पल में।।


सतीश कुमार सोनी
जैतहरी, जिला अनूपपुर म0प्र0

Saturday, 18 April 2020

मेरी मां - सतीश कुमार सोनी

मेरी मां

मेरे दिल में छुपी है एक बात,
जो मैं ना कह पाया दिन रात।
कि, मां मैं आपसे कितना प्यार करता हूं।।
मुझे सुलाने मुझे खिलाने जो जगती थी सारी रात,
उससे मैं ना कह पाया यह बात। 
कि, मां मैं आपसे कितना प्यार करता हूं।.....

तुमने कि मेरी हर जिद पूरी,
रखकर अपनी ख्वाहिश अधूरी।
चलती थी तुम मेरे साथ,
पर मैं ना कहा पाया यह बात।
कि, मां मैं आपसे कितना प्यार करता हूं।....


जब भी थी जरूरत तुम्हारी,
आप खड़ी थी मेरे साथ।
चाहे हो दिन का उजाला या हो आधी रात,
पर मैं ना कह पाया यह बात।
कि, मां मैं आपसे कितना प्यार करता हूं।....

मुझ को सही राह दिखाने जब भी उठाया है तुमने हाथ,
घर कर गई है दिल में यह बात।
ऐसा लगा जैसे मै पा लूंगा सारी कायनात,
पर मैं ना कह पाया यह बात।
कि, मां मैं आपसे कितना प्यार करता हूं।..........
मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।...


     सतीश कुमार सोनी


जैतहरी जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश

Friday, 17 April 2020

मन की बात- सतीश कुमार सोनी






देख चिड़ियों का यह रैन बसेरा,

लगता है मुझको अपना ही डेरा।
इनको देख मन बड़ा मुस्काए,
काश! मुझको फिर से ऐसा बचपन मिल जाए।

चू-चू करके दाना खाती,

लगता है मुझे यही समझाती।
आंख खुले और झट उड़ जाए,
काश! मुझको फिर से ऐसा बचपन मिल
जाए।

चिड़ियों का यह देख हौसला,

मेरा मन मुझको यह बोला।
चल अब कुछ कर कर दिखलाएं,
सारे सपने सच कर जाएं।
काश! मुझको फिर से ऐसा बचपन मिल
जाए।..........

सतीश कुमार सोनी

जैतहरी (म.प्र.)

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प्रशंसा पत्र

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